गर्भावस्था एक खास दौर है और इस दौरान छोटे‑छोटे कदम आपके और बच्चे दोनों की सेहत को बड़ा असर दे सकते हैं। सुबह उठते ही पानी पीना, सही खाना चुनना और डॉक्टर की बातें मानना आपको सुरक्षित रखेगा। चलिए, रोज़ की चीज़ों में क्या बदलाव करना चाहिए, देखते हैं।
सबसे पहले बात करते हैं खाने की। तले‑भुने और बहुत मसालेदार चीज़ों से बचना चाहिए, क्योंकि ये पेट में गैस और असहजता पैदा कर सकते हैं। दाल, चावल, सब्ज़ी, दूध और दही को रोज़ खाने से प्रोटीन और कैल्शियम का ठीक‑ठाक सेवन होगा। फॉलिक एसिड वाला भोजन जैसे पत्तागोभी, ब्रोकली और फल बहुत फायदेमंद होते हैं, क्योंकि यह बच्चे के विकास में मदद करता है।
भोजन में इज़राइल को कम रखें – कॉफ़ी, सॉफ्ट ड्रिंक और शराब पूरी तरह से हटाएँ। अगर आप चाय पसंद करती हैं, तो तेज़ चाय की जगह हर्बल या हल्की चाय ली जा सकती है। नमक की मात्रा भी कम रखें; थोड़ा सा स्वाद पर्याप्त रहता है।
गर्भवती महिला को हल्की‑फुल्की एक्सरसाइज़ करनी चाहिए, जैसे टहलना या आसान योग। ये रक्त संचार को बेहतर बनाते हैं और तनाव कम करते हैं। लेकिन भारी वजन उठाना या तेज़ दौड़ना से बचें, क्योंकि इससे कमर दर्द या गिरने का खतरा बढ़ सकता है।
घर में अधिक समय बैठती हैं तो हर 30‑45 मिनट में खड़ा होकर स्ट्रेच करें। बैठते समय कमर की सपोर्ट दें और कुर्सी को सही ऊँचाई पर रखें। अगर काम पर लंबे समय तक खड़े रहना पड़े, तो आराम के लिए छोटे‑छोटे ब्रेक लें।
सफाई या किचन में काम करते समय रसायनों का प्रयोग न्यूनतम रखें। किसी भी रसायन को इस्तेमाल करने से पहले दस्ताने पहनें और वेंटिलेशन अच्छी रखें। साफ‑सफाई के लिए हल्दी, नींबू या सिरका जैसे प्राकृतिक विकल्प बेहतर होते हैं।
बिस्तर में सोते समय बाएँ तरफ लेटना सबसे सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इससे प्लेसेन्टा को बेहतर रक्त प्रवाह मिलता है। अगर रात में उठना पड़े, तो धीरे‑धीरे उठें और रोशनी खोलें ताकि गिरावट से बच सकें।
सिर्फ़ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी ज़रूरी है। गर्भावस्था में तनाव या चिंता बढ़ सकती है, इसलिए संगीत सुनें, किताब पढ़ें या अपने पसंदीदा शौक में समय बिताएँ। अगर कोई बात खुजली रहे, तो अपने साथी या डॉक्टर से बात करें।
अंत में, डॉक्टर के साथ नियमित चेक‑अप न छोड़ें। हर दो‑तीन हफ्ते में अल्ट्रासाउंड व रक्त जांच से यह तय होता है कि माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं या नहीं। दवाइयाँ तभी लेनी चाहिए जब डॉक्टर ने लिखी हो।
इन सरल सावधानियों को अपनाकर आप गर्भावस्था को आरामदायक बना सकती हैं और बच्चा भी स्वस्थ रहेगा। याद रखें, छोटी‑छोटी बदलाव बड़ी फ़रक लाते हैं।