जब बात धर्म और संस्कृति, भारत की सामाजिक बुनिया में आध्यात्मिक विश्वास और पारम्परिक रीतियों का संगम है. इसे कभी धार्मिक एवं सांस्कृतिक भी कहा जाता है, जो दैनिक जीवन, त्यौहार और कला को आकार देता है.
इस व्यापक क्षेत्र में दीपावली, सबसे लोकप्रिय हिन्दू त्यौहार, रोशनी और आशा का प्रतीक है. अक्सर इसे दीवाली कहा जाता है, और यह धर्म और संस्कृति की कहानी में एक प्रमुख अध्याय बनाता है. दीपावली का समय तय करने के लिए तिथि‑लक्षण बहुत ज़रूरी होते हैं; एक सही तिथि परिवार को सही समय पर पूजा करने में मदद देती है.
ओर इस बात को समझना जरूरी है कि स्वामी मुकुंदनंदा, एक आध्यात्मिक गुरु हैं, जिनके व्याख्यान दीपावली जैसे त्यौहारों के दार्शनिक मूल को उजागर करते हैं. उनका वैकल्पिक नाम स्वामी मुँकुंदनंदा भी सुना जाता है, और उनके विचार अक्सर धार्मिक कैलेंडर में तिथि‑लक्षण की व्याख्या को प्रभावित करते हैं.
तेज‑तेज़ी से बदलावों के बीच, तारीख, कैलेंडर में कोई भी घटना कब होगी, इसका निर्धारण करती है. इस शब्द का अन्य नाम दिनांक भी है। जब हम दीपावली की तिथि देखते हैं, तो हम केवल कैलेंडर नहीं, बल्कि उस दिन के लक्षण‑पूजा के समय को भी देख रहे होते हैं, जो स्वामी मुकुंदनंदा जैसे विद्वानों के हिसाब से उपयुक्त माना जाता है.
इन सबका आपसी संबंध स्पष्ट है: धर्म और संस्कृति में त्यौहार, विचारधारा, और तिथि‑लक्षण बुनते एक दूसरे को. दिवाली के प्रकाश में स्वामी मुकुंदनंदा के विचारों को समझना, सही तारीख चुनने में मदद करता है, और अंत में पूरे समुदाय की आस्था मजबूत होती है. यही कारण है कि इस श्रेणी में हम केवल समाचार नहीं, बल्कि गहरी समझ और व्यावहारिक जानकारी भी पेश करते हैं.
आप इस पेज पर कई प्रकार की जानकारियाँ पाएँगे: 2025 की दीपावली तिथि, स्वामी मुकुंदनंदा के विचार, और लक्षण‑पूजा के समय की विस्तृत विश्लेषण. प्रत्येक लेख को हमने इसलिए चुना है ताकि आप अपनी धार्मिक व सांस्कृतिक समझ को और गहरा कर सकें. चाहे आप त्यौहार की तैयारी कर रहे हों या सिर्फ ज्ञान चाहें, यहाँ सब कुछ संगठित रूप में उपलब्ध है.
अब आगे स्क्रॉल करके आप देखेंगे कि हमने कौन‑कौन से लेख इकट्ठे किए हैं—तारीख‑लक्षण की बारीकी से लेकर प्रमुख विचारकों के उद्धरण तक. इस संग्रह में हर चीज़ का अपना मकसद है: आपको सही जानकारी देना और धार्मिक‑सांस्कृतिक जीवन को सरल बनाना.