जब रवि तेजा की आवाज़ फिल्म के शुरुआती सीन में गूंजती है — "इंसान का इंसान के साथ बंधन ही सच्चा बल है" — तो दर्शक समझ जाते हैं कि ये सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं, बल्कि दक्षिण भारत के लोकप्रिय मसाला सिनेमा का एक नया अध्याय है। मास जथारा का ओटीटी डेब्यू 28 नवंबर 2025 को नेटफ्लिक्स पर होने जा रहा है, जिसकी घोषणा नेटफ्लिक्स इंडिया साउथ ने 25 नवंबर 2025 को अपने ट्विटर हैंडल पर एक विशेष पोस्टर के साथ की। पोस्टर में रवि तेजा एक बड़े पहिए के सामने खड़े हैं, हाथ में घंटी लिए, जैसे कोई रेलवे स्टेशन के गेट पर खड़े होकर ट्रेन के आने का इंतज़ार कर रहे हों। ये छवि फिल्म की भावना को बखूबी पकड़ती है: एक आम आदमी की जीत, जो बड़े पहिए के नीचे आ जाने के बावजूद अपनी घंटी बजाता रहता है।
थिएटर में चुपचाप गुजरी, ओटीटी पर बनेगी बड़ी बात
फिल्म का थिएटर में प्रदर्शन 31 अक्टूबर 2025 को हुआ था, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर इसका रिकॉर्ड खास नहीं बना। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी शुरुआती कमाई 15 करोड़ रुपये से भी कम रही, जबकि बजट 45 करोड़ था। फिर भी, नेटफ्लिक्स ने फिल्म के स्ट्रीमिंग राइट्स 20 करोड़ रुपये में खरीद लिए — ये निर्णय उतना ही दिलचस्प है जितना फिल्म का कहानी ढांचा। ये इशारा है कि नेटफ्लिक्स को लगता है कि दक्षिण भारत के मसाला सिनेमा का असली दर्शक घर पर बैठा है, न कि सिनेमाघरों में।
रवि तेजा का रेलवे पुलिस ऑफिसर, जिसने बदल दी अपनी ज़िंदगी
रवि तेजा इस फिल्म में रेलवे पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहे हैं, जो अपने बचपन में एक ड्रग ट्रैफिकर के कारण अपने परिवार को खो चुका है। अब वो उसी ट्रैफिकर को पकड़ने का मिशन लेकर चलते हैं — लेकिन इस बार, वो बिना बंदूक के, बिना बल के, बस अपनी ईमानदारी और लोगों के विश्वास से। इस भूमिका में उनकी एनर्जी और भावनात्मक गहराई दोनों दिखती हैं। एक सीन में, वो एक बच्चे को रोकते हैं जो ट्रेन से चिपक रहा है, और बस एक गुड़िया दे देते हैं। ये नहीं कि वो बॉस हैं, बल्कि वो अपने आप को उस बच्चे के बाप समझते हैं।
श्रीलीला, नागा वामसी और भानु भोंगावरपु: एक टीम जिसने अपने विश्वास को नहीं छोड़ा
श्रीलीला ने तुलसी का किरदार निभाया है — एक ऐसी महिला जो अपने प्रेमी के लिए अपनी आदतों को बदल देती है, लेकिन अपनी आत्मा को नहीं। उनकी भूमिका फिल्म को एक गहराई देती है, जिसे बिना ड्रामा के बताया गया है। नागा वामसी ने फिल्म का निर्माण किया, और भानु भोंगावरपु ने निर्देशन किया। भानु ने रिलीज से पहले एक ट्वीट में लिखा: "हमारी कहानी में जो चिंगारी आपने लाई, उसके लिए श्रीलीला गारू को धन्यवाद" — ये वाक्य सिर्फ एक शुक्रिया नहीं, बल्कि एक आत्म-समर्पण है। ये फिल्म किसी बड़े स्टूडियो की नहीं, बल्कि एक छोटी टीम की जीत है।
चार भाषाओं में उपलब्ध, दक्षिण की आवाज़ बन रही है राष्ट्रीय
मास जथारा को तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में उपलब्ध कराया जाएगा। ये कोई छोटी बात नहीं। अब तक, दक्षिण भारत की फिल्में हिंदी में डब करके ही उत्तर भारत तक पहुंचती थीं। लेकिन नेटफ्लिक्स ने इस बार असली भाषा में रिलीज करने का फैसला किया। इसका मतलब है कि एक तमिल दर्शक बिना डबिंग के रवि तेजा के अभिनय को समझ सकता है। ये एक नए युग की शुरुआत है — जहां भाषा की सीमाएं गायब हो रही हैं।
क्यों ये फिल्म आज के समय में मायने रखती है?
आज का सिनेमा अक्सर एक्शन के लिए एक्शन बनाता है। लेकिन मास जथारा एक्शन के लिए इंसानियत बनाती है। रवि तेजा का किरदार बॉस नहीं, बल्कि एक आम इंसान है जो अपने जीवन के बारे में अपने अतीत को समझता है। ये फिल्म उन दर्शकों के लिए है जो अभी भी विश्वास करते हैं कि अच्छाई जीत सकती है — बस उसके लिए थोड़ा समय चाहिए। इस फिल्म में कोई बड़ा विजयी संगीत नहीं, कोई बड़ा ड्रामा नहीं, बस एक घंटी की आवाज़ और एक आदमी का दिल।
अगला कदम क्या होगा?
नेटफ्लिक्स ने इस फिल्म के सफलता के बाद अब तेलुगू और तमिल फिल्मों के लिए अलग से एक "South Mass" सीरीज़ लॉन्च करने की योजना बना रही है। अगली फिल्म के लिए रवि तेजा के साथ काम करने के लिए अन्य निर्देशकों के साथ बातचीत शुरू हो चुकी है। ये सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है।
फिल्म का सपोर्टिंग कास्ट: जिनके बिना कहानी अधूरी होती
निर्देशक ने अपनी टीम को बहुत ज्यादा जगह दी। नवीन चंद्र, राजेंद्र प्रसाद, नरेश, प्रवीण, समुथिरकानी और मुरली शर्मा — ये सब ने अपने छोटे-छोटे रोल्स में फिल्म को जीवंत बनाया। एक सीन में, राजेंद्र प्रसाद एक ट्रेन के अधिकारी के रूप में रवि तेजा को एक चाय देते हैं और कहते हैं, "बेटा, तुम्हारा दिल बड़ा है, लेकिन दुनिया तुम्हें छोटा दिखाना चाहती है" — ये लाइन फिल्म का सार है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
'मास जथारा' क्यों बॉक्स ऑफिस पर अच्छा नहीं चली?
फिल्म का रिलीज दिन अन्य बड़ी रिलीज़ जैसे 'कर्मा' और 'एम.एस. धोनी' के रिमेक के साथ टकराया। इसके अलावा, इसका ट्रेलर बहुत ज्यादा एक्शन दिखाता था, जबकि फिल्म ज्यादा भावनात्मक और धीमी थी। इसलिए दर्शकों की उम्मीदें और वास्तविकता में अंतर रहा।
नेटफ्लिक्स ने इतने पैसे क्यों दिए?
नेटफ्लिक्स को लगा कि दक्षिण भारत में मसाला सिनेमा का दर्शक घर पर बैठकर भी अपनी भाषा में फिल्म देखना चाहता है। रवि तेजा के 1.2 करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, और उनकी फैन बेस ने ट्विटर पर फिल्म के लिए 2.3 मिलियन बार हैशटैग बनाया। ये डिजिटल डिमांड ने नेटफ्लिक्स को निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया।
क्या ये फिल्म हिंदी दर्शकों के लिए भी दिलचस्प होगी?
हां। फिल्म में एक्शन, कॉमेडी और इंसानियत का बेहतरीन मिश्रण है। अगर आपने 'बाहुबली' या 'रावण' देखी है, तो आपको ये फिल्म भी पसंद आएगी। भाषा का अंतर नहीं, भावना का अंतर है — और ये फिल्म भावनाओं की भाषा बोलती है।
क्या इस फिल्म का सीक्वल आएगा?
हां, नेटफ्लिक्स ने इसके लिए पहले ही अनुमान लगा लिया है। रवि तेजा और नागा वामसी के साथ अगली फिल्म की शूटिंग अगले साल जनवरी से शुरू होने की उम्मीद है। कहानी एक नए रेलवे डिवीजन में घूमेगी, जहां एक नए ड्रग कार्टेल का खुलासा होगा।
क्या ये फिल्म दक्षिण भारत के सिनेमा को बदल देगी?
ये फिल्म ने दिखाया कि एक छोटी टीम, बिना बड़े बजट के, भी एक ऐसी कहानी बना सकती है जो दर्शकों के दिल को छू जाए। अब निर्माता बड़े स्टूडियो की बजाय निर्देशकों के विज़न पर भरोसा करने लगे हैं। ये एक नए समय की शुरुआत है — जहां आवाज़ की गहराई बड़े बजट से ज्यादा मायने रखती है।
क्या फिल्म में कोई वास्तविक घटना पर आधारित हिस्सा है?
हां। निर्देशक भानु भोंगावरपु ने बताया कि रवि तेजा के किरदार की कुछ घटनाएं एक वास्तविक रेलवे पुलिस अधिकारी की जिंदगी पर आधारित हैं, जिन्होंने 2018 में एक ड्रग रैकेट को बिना बंदूक के उजागर किया था। उनकी कहानी तेलंगाना के एक गांव में अभी तक लोग याद करते हैं।