आपने कभी ऐसा मंत्र सुना होगा जो बीमारी को दूर कर देता है? वही है महामृत्युंजय मंत्र। इसे अक्सर ‘ज्योतिर्मयी श्लोक’ कहा जाता है क्योंकि इसकी vibrations से शरीर के अंदर की बिजली से भी तेज़ ऊर्जा चलती है। इस लेख में हम सरल भाषा में बताएँगे कि इस मंत्र का मतलब क्या है, इसके क्या‑क्या फायदे हैं और इसे सही‑सही कैसे जपा जाए।
श्लोक का मूल भाग है “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुक्कमिव बन्धनान्मुक्ति विमोचनम्।” इसका सरल अर्थ है – हम त्रिपुरारी (भगवान शिव) को पुकारते हैं जो सभी रोगों को दूर करने की शक्ति रखते हैं। ‘सुगंधिं’ का मतलब है सुखद वास, यानी मन को शांति देना, और ‘पुष्टिवर्धनम्’ का मतलब है शरीर को पोषण देना।
पुराने ग्रंथों में बताया गया है कि इस मंत्र को 108 बार जपने से रोग‑रक्त पर जीते जाने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इसका असर सिर्फ शरीर में नहीं, बल्कि मानसिक तनाव, चिंता और नींद की समस्या पर भी पड़ता है। कई लोग कहते हैं कि नियमित जप से उनकी बीमारी‑उपचार की प्रक्रिया तेज़ हो गई।
सही जप से ही असर मिलेगा, इसलिए नीचे दिए गए कदमों को फ़ॉलो करें:
1. **स्थली चुनें** – एक शांत जगह चुनें जहाँ आप बिना व्यवधान के बैठ सके। सुबह के पहले या शाम के बाद, जब घर में कम शोर हो, वो समय सबसे अच्छा होता है।
2. **शरीर की तैयारी** – जप से पहले हल्का‑से‑हल्का योग या कुछ स्ट्रेचिंग करें। यह आपके मन को शांत करता है और ऊर्जा को सही दिशा में ले जाता है।
3. **जप की मात्रा** – अधिकांश लोग 108 बार जपते हैं, पर शुरुआती लोग पहले 21 या 27 बार से शुरू कर सकते हैं। जप के बाद अगर समय मिल रहा हो तो दो‑तीन दिन दोहराएं।
4. **जप माला का उपयोग** – 108 माला (जापसूत्र) से प्रत्येक मोती पर एक बार जप करें। यह हाथ की गति को स्थिर रखता है और मन को फोकस्ड बनाता है।
5. **ध्यान और विश्वास** – मंत्र को उच्च स्वर में दोहराएँ, लेकिन साथ ही इस बात को दिल से मानें कि यह आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना रहा है। विश्वास शक्ति को बढ़ाता है, और वही ऊर्जा शरीर में काम करती है।
6. **समाप्ति** – जप खत्म करने के बाद एक गहरी साँस लें और ‘ॐ शांति’ कहकर स्वयं को शुभकामना दें। यह आपको सुकून देता है और दिमाग को ताज़ा करता है।
अगर आप कोई गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं, तो यह मंत्र डॉक्टर की दवाओं का विकल्प नहीं है, बल्कि उनका सहायक बनता है। डॉक्टर की सलाह के साथ जप करने से दोनों मिलकर रोग के खिलाफ़ बेहतर लड़ाई कर सकते हैं।
एक बात और – इसे रोज़ाना अलग‑अलग समय पर करने से शरीर का ‘रिकवर्डी’ सिस्टम (पुनर्निर्माण) बेहतर चलता है। इसलिए, सप्ताह में कम से कम तीन बार यह जप करने की कोशिश करें।संक्षेप में, महामृत्युंजय मंत्र सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक एंटी‑बैक्टीरियल, एंटी‑वायरल, एंटी‑इंफ्लेमेटरी ‘ऊर्जा पैकेज’ है। इसे सही ढंग से, नियमित रूप से और आत्मविश्वास के साथ जपें, तो आप अपने शरीर को एक नई सुरक्षा परत दे रहे होंगे।
इसे अपनी दिनचर्या में जोड़ें, और खुद देखें कैसे छोटा‑छोटा बदलाव बड़े स्वास्थ्य लाभ में बदल जाता है। यही है आपका सरल, प्रभावी और भरोसेमंद ‘स्वास्थ्य मंत्र’।