संपादकीय: कीचड़ में कमल खिलता है, नाली मत खंगालिए

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भारद्वाज की छवि पर नहीं दिखा दाग तो देख रहे हैं और चेहरे

बदायूं। कहा यह जाता है कि कमल कीचड़ में खिलता है लेकिन यहां लोग चवन्नी छाप हो गए हैं। नाली कुरेद रहे हैं और ढूंढ रहे हैं चवन्नी।
बताया तो यह जाता है कि ऐसे लोग पहले कभी चवन्नी पा गए थे। अब जब भी सड़क पर आते हैं तो उन्हें नीचे देखना पड़ता है कि कहीं चवन्नी और ना मिल जाए। हालत उनकी इतनी खराब हो गई है की नाली तक को कुरेदने पर मजबूर हैं। यही वजह रही भाजपा के समर्थन से तीर के निशान पर संसदीय चुनाव लड़ चुके डीके भारद्वाज की लोकप्रियता इस जिले में कम नहीं है। उनके व्यवहार के लोग कायल हैं। विरोधियों को लगा कि इन पर निशाना कैसे लगे। इन की छवि खराब कैसे की जाए । एक ऐसा मसला मिला जो उनके परिवार से जुड़ा था। मानसिक रूप से विक्षिप्त रहे इस पारिवारिक सदस्य से कोई आपराधिक घटना हुई या ना हुई लेकिन आपस में आरोप और प्रत्यारोप में समझौता भी हो गया।
फिर क्या था डीके भारद्वाज के खिलाफ मिल गया मसाला। चवन्नी के लिए सड़क पर नजरें गड़ाकर चलने वाले लोग इसको मुद्दा बनाने में जुट गए। लोग उन्हें अच्छी तरह जानते हैं विपक्षी लोगों के साथ रहकर लंबे समय तक भाजपा पर निशाना रख अपने आकाओं को यह बताने में भी कामयाब रहे कि हम उनके लिए काम कर रहे हैं।
आपको बताने की जरूरत नहीं वह कौन है, उन्हें सब जानते हैं।

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